13 ) नैनीताल यात्रा ( यादों के झरोके से )
शीर्षक = नैनीताल यात्रा
एक बार फिर हाजिर हूँ इस यादों के झरोखे में अपनी यादों को आप सब के साथ साँझा करने के लिए , तो देर किस बात की शुरू करते है अपने उस याद गार लम्हें की दास्तां आप को सुनाने के लिए
ये बात है हमारे बचपन की, जब हमारे और हमारे साथ खेलने कूदने वाले हमारे दोस्तों के माता पिता ने कही घूमने जाने का प्लान बनाया
उन दिनों गर्मियों की छुट्टी तो नहीं थी लेकिन फिर भी हम सब घर पर ही थे , गर्मियों का आगाज़ होने को था
हमारे घर से 85 किलोमीटर दूर पहाड़ो पर बसा एक खूबसूरत वादियों से घिरा एक शहर जिसका नाम नैनीताल है , जहाँ से प्राकर्तिक सौन्दर्य को करीब से देखने का मौका मिलता है और हर साल गर्मी हो या सर्दी हज़ारो पर्यटक वहाँ घूमने आते है , और वहाँ की वादियों का आनंद लेते है
जब हमें और हमारे हम उम्र दोस्तों को पता चला की हम सब नैनीताल जा रहे है तब हमारी ख़ुशी का कोई ठिखाना नहीं था , सब के ख्यालों में बस नैनीताल के ही सपने आ रहे थे
जिस दिन हमें निकलना था उससे पहले वाली रात को तो गुज़ारना बहुत मुश्किल हो गया था, वो रात ना जाने क्यू इतनी लम्बी हो गयी थी कि काटे नहीं कट रही थी , किसी तरह हम सब सौ गए और सवेरे ही उठ कर तैयार हो गए जबकि घर वाले थोड़ा देर से तैयार हुए
हम सब तैयार होकर बैठ गए और यहां तक कि घरवाले भी लेकिन गाड़ी वाला ना जाने कहा रह गया था , उसने आने में इतने घंटे लगा दिए कि हमें लगने लगा कि शायद हमारा नैनीताल जाने का सफऱ यही ख़त्म हो जाएगा
हम सब बच्चें ड्राइवर के आने का इंतज़ार कर रहे थे , क्यूंकि वही तो हम सब को लेकर जाने वाले थे , बहुत देर बाद आखिर कार गाड़ी वाले अंकल आन पहुचे इससे पहले बड़े लोग उनसे देर से आने कि वजह पूछते उन्होंने स्वयं बता दिया कि गाड़ी में कुछ परेशानी आ गयी थी, जिसे ठीक कराकर ही पहाड़ पर जाया जाए तो ही अच्छा होता, नहीं तो कुछ भी हो सकता था
सब को उनकी बात सही लगी और किसी ने भी कोई गुस्सा नहीं किया, उसके बाद हम सब गाड़ी में बैठ गए , बहुत सारा खाना अपने साथ बांध लिया था , ताकि भूख लगने पर खा सके, लेकिन नैनीताल जाने कि ख़ुशी इतनी थी कि छोटे किया बड़ो को भी भूख नहीं लगी
हल्द्वानी पहुंच कर ही काठगोदाम और नैनीताल के पहाड़ो का नज़ारा दिखना शुरू हो जाता है , जिन्हे देख हम सब कि ख़ुशी का ठिखाना नहीं रहा
उस गाड़ी में सफऱ के हिसाब से ही गाने बज रहे थे , जिनका आनंद हम सब उठा रहे थे , उन्हे साथ साथ गुन गुना कर
थोड़ी ही देर बाद ड्राइवर अंकल ने बताया कि अब हम पहाड़ पर चढ़ने जा रहे है , इसलिए सब अपने आप को पकड़ कर बैठ जाए, और जिन्हे उलटी आती है वो खिड़की पर बैठ जाए
ये सुन कर तो हमारी उत्सुकता और बढ़ गयी कि अब हम पहाड़ पर चढ़ने वाले है , हम सब डरे होने के साथ साथ खुश भी थे , थोड़ी देर बाद टेड़े मेढे रास्ते दिखाई देने लगे खिड़की से झाँक कर देखा तो हम काफ़ी ऊँचाई पर थे और नीचे रास्ता दिख रहा था और चारों और खायी ही खायी थी जिसे देख हम सब डर से गए
काफ़ी देर बाद उन टेड़े मेढे रास्तो का आंनद लेते हुए हम लोग नैनीताल पहुंच गए, सब कि टांगे बैठे बैठे दर्द करने लगी थी , सब गाड़ी से तुरंत बाहर निकले तो देख चारों और बड़े बड़े पहाड़ उनके ऊपर रुई कि तरह दिखने वाले बादल मंडरा रहे थे और मौसम इतना प्यारा कि लफ्ज़ो में बयान कर पाना मुश्किल है थोड़ा
सब को भूख लगी थी इसलिए सब ने पहले खाना खाया, उसके बाद बाजार घूमा , वहाँ बहुत बड़ी झील ही जिसका आकार ऊपर से देखने पर आम कि तरह दिखता है , उसमे बहुत सी नावे थी जिनमे यात्री बैठ कर आंनद ले रहे थे
पानी इतना ठंडा मानो बर्फ कि सिल्ली पिघल रही हो,
नैनीताल कि सबसे बड़ी ख़ूबसूरती ये है कि वहाँ मंदिर, मस्जिद, गुरुदारा और एक चर्च चारों बिलकुल नजदीक थोड़ी थोड़ी दूरी पर बने है, जो देखने में बहुत सुंदर लगते है
इसी के साथ वहाँ के निवासियों द्वारा हाथ से बनी चीज़े बेचीं जाती है जो कि देखने में बेहद खूबसूरत लगती है , हमने भी कुछ चीज़ें खरीदी
पहाड़ी पर होने कि वजह से वहाँ हर एक चीज बेहद महंगी थी इसलिए सबने बस जरूरी चीज ही खरीदी ताकि पता चल सके कि नैनीताल गए थे
बहुत सर एन्जॉय करने के बाद शाम ढलते ही हमने वहाँ से रवानगी कर ली, मन बिलकुल भी नहीं था उन वादियों को छोड़ शोर शराबे में आने का लेकिन मजबूरी थी इसलिए आना पड़ा
सब उदास थे और थक भी गए थे, करीब रात के 10 बजे हम घर आन पहुचे और जल्दी से कपडे बदल कर सौ गए
ऐसी ही किसी अन्य याद गार लम्हें को जल्द ही आप सब के साथ साँझा करने आऊंगा तब तक के लिए अलविदा
यादों के झरोखे से
Sachin dev
12-Dec-2022 07:34 PM
Well done
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Naresh Sharma "Pachauri"
12-Dec-2022 04:49 PM
अति र अति सुन्दर
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Gunjan Kamal
12-Dec-2022 04:42 PM
नैनीताल की खुबसूरती की बात ही अलग है। शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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